( दिल से दिल तक )
*शिव - सेतु*
दिल किसी से जोड़कर
अपना बना लूं
या उसकी हो जाऊं
ये सोचकर जब जब किसी का हाथ पकड़ा
हर दफा मुझे साजिशों ने ही जकड़ा
दोस्त बनाया मन की बात कहने को
उसने ह्दय में ही खंजर घुसड़ा
हर दफा मुझे साजिशों ने ही जकड़ा
नैनों में चमके इक बार चाहत के शोले
इस बार चेहरा बदनामी के अंगारों से बिगड़ा
हर दफा मुझे साजिशों ने ही जकड़ा !
भाई बना किसी के हाथ बांधी थी राखी
उस राखी का रेशम धोखे ने उधड़ा
हर दफा मुझे साजिशों ने ही जकड़ा !
फिर मिला मुझे वो पुल
दिल से दिल तक जाने के लिये
अब पाया मैने शिव बंधन तगड़ा
फिर दोबारा मुझे कभी साजिशों ने नहीं जकड़ा
नहीं जकड़ा नहीं जकड़ा !! 🙏
*अपर्णा गौरी शर्मा*💝
RISHITA
03-Jul-2023 10:34 AM
nice
Reply
Punam verma
03-Jul-2023 07:32 AM
Very nice
Reply
Gunjan Kamal
03-Jul-2023 06:44 AM
बेहतरीन
Reply